Saturday, September 12, 2009

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मायड़ भासा नै भूल कियां, मायड़ रौ करज चुकावांला ।
आपणी भासा रै बिना कियां, आपणौ अस्तित्व बचावांला ॥
मायड़ भासा वा भासा है, जो घर में बोली जावै है ।
मायड़ री गोदी में टाबर जीं भासा में तुतळावै है ॥
धरती री सौन्धी महक लियां, जो घुंटी-सी पच जावै है ।
मां ममता सूं दुलरावै, जीं भासा में प्रेम लुटावै है ॥
आपणी मायड़ भासा सूं आपां ईं आपणौ सिणगार करां ।
आपणी भासा सूं हेत करया ईं आपणौ धरम निभावांला ॥
आ राजस्थांनी नुवी कोनीं, ईं रौ इतिहास पुराणौ है ।
वौ टौड अर ग्रियसन तक, इणरी महत्ता नै मानी है ॥
मरुधर री आ भासा पण, सबदां रौ घणौ खजानौ है ।
ग्रंथां री कोई कमी कोनीं, या सच्चाई समझणी है ॥
सैं लोग आपणी भासा नै, मायड़ भासा नै चावै है ।
आपां ईं मायड़ भासा रा, इब सांचा पूत कुहावांला ॥
जीं भासा में मीरा गाई, रस भगती रौ सरसायौ हौ ।
राणा प्रताप-भामासा, जीं धरती रौ मान बधायौ हौ ॥
पदमणियां सत रक्षा नै, जौहर रौ पाठ पढायौ हौ ।
धोरा धरती संगीत बणी, किस्सां में जोश सवायौ हौ ॥
वीं राजस्थांनी नै आपणौ, सगळौ अधिकार दिराणौ है ।
यो धरम निभावांला नहीं, तौ पूत कपूत कुहावांला ॥
या सांत करोड़ सपूतां री नीज भासा राजस्थांनी है ।
हरियाणै राजस्थांन अर माळवै री घर-धणियाणी है ॥
तेस्सीतोरी-इटली जायै री, सैं सूं प्यारी वाणी है ।
या मरुभोम री मरुभासा, वीरां री जोश जवाणी है ॥
राजपूतां री तलवारां पर मरुभासा धार चढावै है ।
रणखेतां री ईं भासा पर आपणौ ईं शीश नवावांला ॥
भासा आपणी रै रहया बिना, यो देस कियां बच पावैलौ ।
अर राजस्थांनी बिना कियां, यो राजस्थांनी कुहावेलौ ॥
आपणी संस्कृती नै छोड्या सूं, कियां सम्मान बचावेलौ ।
मायड़ भासा नै बिसरायां, सैं माटी में मिळ जावेलौ ॥
आपणी भासा नै अपणावौ, आपणी भासा मत दुरसावौ ।
धरती माता नै भूल कियां, माटी रौ मोल चुकावांला ॥